तू ही जीवन दाता (स्वर -रविन्द्र जैन)
तू ही जीवन दाता,
तू ही जीवन का रखवारा
तू ही जीवन दाता,
तू ही जीवन का रखवारा...........
प्रिय -श्याम -सखा तू है, सूने नैनो का उजियारा !
अंधियारे अंतर में तुने,
अंतर ज्योत जलाई
अंतर तनिक न रक्खा ,
बस गया अंतर बीच कन्हाई ,
मुझमे मुखरित होकर,
मुझसे कृष्ण-कथा कहलाई
सब कुछ स्वयं किया,
और दे दी मुझको नाम बड़ाई
मैंने तो बस भूले-भटके ,
जय श्री कृष्ण उचारा .........
प्रिय -श्याम -सखा तू है, सूने नैनो का उजियारा !!
वेद-पुराणों से नहीं होती,
प्रभु तेरी परिभाषा .
मै अज्ञानी कैसे गाऊ,
स्वर है और न भाषा
तेरा दर्शन तेरी सेवा ,
जन्मो की अभिलाषा
तेरे श्री चरणों में सोंपी,
आशा और निराशा ,
अंत समय हरि सत्यति देना,
रखना ध्यान हमारा..............
प्रिय -श्याम -सखा तू है सूने नैनो का उजियारा !!
-अखिल
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